एक बंद खिड़की जिसके इस पार खड़ी हूँ मैं खटखटाती हूँ पुरानी लकड़ी के पाले बाहर की तेज़ बारिश के शोर में गुम हो जाती है ये आवाजें कुछ खटखटाहट थोड़ी सिसकियाँ बंद किवाड़ों के पीछे सीलन भरी दीवारों से लगे बैठी है कोई पुरानी कहानी एक वक़्त के किस्से पुराने पर्दों से टंगे पड़े […]
पोटली बाबा की
हम यात्रा पर निकले हैं ,गाँव की कच्ची पगडंडियां, खेत की मुंडेर के बराबर दौड़ती मिटटी की सडकें बड़ी होकर कब शहर की चौड़ी सड़क बन गयी यह देखने. हर शहर का एक चेहरा होता है जिस पर नए विचार,नए सामाजिक संगठनों और नयी ज़िन्दगी की परत चढ़ जाती है, आइये चलिए मेरे साथ ढूंढते हैं उस अनपहचाने को जो पीछे छूटता जा रहा है.हम चलेंगे कुछ कहानियाँ सुनने, किसी अधूरे प्रेम के गीतों पर अपने पैर थिरकने, किसी नए ज़ायके का लुत्फ़ उठाने और इस यात्रा में हम करेंगे हर देश की शिनाख्त उस देश के नज़रिए से. विकास की रफ़्तार से कुछ रंग गहरे हुए तो कुछ बेरंग भी. वक्त को खूँटी से उतारकर हम ढूंढेंगे उन रंगों को.
रुकिए….रुकिए कहीं आपने यह तो नहीं सोच लिया की यह “Just another travel blog” है. अगर हाँ तो यह जान लीजिये की इस पोटली में अतीत, भविष्य और वर्तमान लादे एक जगह से दूसरे जगह फिरते हम करेंगे उन फसानों का ज़िक्र जिसे समय की दौड़ से चुराकर संस्कृति ने रख छोड़ा है किसी बंद कपाट में .
तुम होती तो क्या आज साथ होती
डिअर नानी (तुम अभी होती तो डिअर का मतलब समझाते तुम्हें खालिस जौनपुरिया भोजपुरी में ). कुछ दिन ऐसे होते हैं जब आप बस कहीं छिप जाना चाहते हो, एक ऐसी थकान जब किसी होने के न मायने समझ आते हैं और न किसी न होने के कारण दिखते हैं, ऐसे ही दिन आज तुम […]
बैंगनी फूल
“क्या बकवास खाना है यार, इसे खायेगा कोई कैसे” विशाल ने टिफ़िन खोलते ही कहा. “ अगर ४ दिन और ये “खाना खाना पड़ा तो मुझसे न हो रही इंजीनियरिंग, मैं जा रहा वापस अपनी पंडिताइन के पास.” “सुन हीरो, बाज़ार से लगी गली के आखिरी में एक पीला मकान है, एक आंटी खाना खिलाती […]
हमारी नफरतों के बीच एक माँ
एक अजीब से घिनौने समय में हम जी रहे हैं, जहाँ एक होड़ मची हुई है कि “तेरी वाली देशभक्ति, मेरी वाली देशभक्ति“ से कम कैसे. मुझे गुरमेहर की भी बात बचकानी लगती है और उसे जवाब देने वाले सो कॉल्ड देशभक्तों पर तो तरस आता है जो अपनी बात रखने के लिये पहले दलील […]
इस बारगी ये पत्त्थर तो तबियत से उछला है यारों
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के कार्यकाल के पहले दिन ही अमेरिका ने अपने इतिहास का सबसे बड़ा विरोध देखा, वाशिंगटन डीसी में 5 लाख से भी ज्यादा लोगों ने आज #Women’sMarch के तले एक विरोध मार्च में हिस्सा लिया और नये राष्ट्रपति को कड़े शब्दों में कहा कि समानता और अधिकारों की ये लड़ाई जारी […]
मेरा हीरो बूढ़ा हो चला है
हम सब के हीरो होते हैं, हमारी जिंदगी के वो हिस्से जिस पर हमारा हक होता है, वो शख्स जो हमें भरोसा दिलाता है कि उसके होने भर से ही सब कुछ ठीक हो जायेगा। एक बरगद का पेड़ मेरा हीरो है, जहाँ मैं भाग कर जाती हूँ जब कुछ ठीक न हो, जिसके पीछे […]
तुलसी का पौधा
वह हर रोज़ नींद से हड़बड़ा कर उठा जाती, बुरे सपने उसका पीछा ही नहीं छोड़ रहे थे. रोज़ अधूरी सी नींद के बाद सुबह उठती तो थकी हुई, चिढ़ी हुई. सपने में सब कुछ भरभराकर गिर जाता और वो उसे थाम नहीं पाती थी. ” बहुत ख़राब सपने आते हैं यार, परेशान हो गयी […]
हम सब में दरार है जो दिखती नहीं 2: सिर्फ ब्रेकअप से डिप्रेशन नहीं होता
दरार जो बताता है कि कुछ टूट गया है, कुछ दरक गया है, शायद आर पार नहीं, कोई टुकड़ा नहीं पर दरार बताती है कि कुछ टूटा जरुर है. कुछ पिघल गया है अन्दर मोम की तरह जो चाह कर भी वैसा नहीं हो पा रहा जैसा पहले था. पर जरुरत भी क्या है पहले […]
हम सब में दरार है, जो दिखती नहीं
कुछ दिन पहले पोएट्री के एक इवेंट में गयी थी .यहाँ 15 लोग आये थे, 15 अजनबी जो एक दूसरे को बिलकुल भी नहीं जानते थे, 15 कहानियाँ, 15 कवितायेँ, 15 मन और सैंकड़ों दरारें. साथ में रहते, एक दूसरे को अपनी ज़िन्दगी में आने का, झाँकने का न्योता देते वे 15 लोग एक दूसरे […]
पहाड़ों के लिहाफ़ में
पहाड़ों के लिहाफ़ में सिमटे हुये, पैरों को सिकोड़े एक रुका हुआ वक़्त कुछ दोस्त, कई किस्से वो प्यार के सबके अपने फलसफे ज़िन्दगी की दौड़ से अलग हटकर खुद को देखते, बस देखते किसी को समझाने की जिद नहीं यादों के फोल्डर से निकाल के कुछ अधूरे ख्वाब हरी घास पर, ओस […]